हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा दी जाने वाली सर्वोच्च उपाधि कौन सी है?

हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा दी जाने वाली सर्वोच्च उपाधि कौन सी है?

इसे सुनेंरोकें१९३८ में हिन्दी भाषा और साहित्य की सेवा करने वालों को सम्मेलन की सर्वोच्च मानद उपाधि ‘साहित्यवाचस्पति’ देना आरम्भ हुआ।

हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रथम संस्थापक कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंमहामना पं0 मदनमोहन मालवीय जी के सभापतित्व में इसका प्रथम सम्मेलन 10 अक्टूबर 1910 को काशी में हुआ। इस अधिवेशन में राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रथम मन्त्री बनाए गए। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संस्थापक सदस्यों में पं. मदन मोहन मालवीय, राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन, पं.

सन 1918 हिंदी साहित्य सम्मेलन का आठवा अधिवेशन कहाँ हुआ?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग

महात्मा गांधी हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति कब बने?

इसे सुनेंरोकें1918 व 1935 में हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता करने आए थे

हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने लिपि सुधार समिति की स्थापना कब की थी?

इसे सुनेंरोकेंमहामना पं. मदन मोहन मालवीय सम्मेलन के पहले अध्यक्ष व राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन पहले महामंत्री बने। एक साल बाद 1911 में सम्मेलन प्रयागराज में स्थापित हो गया।

1971 में हिंदी साहित्य सम्मेलन कहाँ हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग – भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागर

पहला अखिल भारतीय आदिवासी साहित्य सम्मेलन कहाँ हुआ?

इसे सुनेंरोकें10 अक्टूबर, 1910 को वाराणसी में मदनमोहन मालवीय के सभापतित्व में पहला सम्मेलन हुआ था। अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी के प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है, जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं।

हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से बड़े विशारद और आयुर्वेद की अदालत का क्या फैसला हुआ?

इसे सुनेंरोकेंस्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सितंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश देकर हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग इलाहाबाद की संस्था द्वारा दी जाने वाली आयुर्वेद रत्न, साहित्य रत्न और वैद्य विशारद की डिग्री को अमान्य करते हुए अवैध घोषित कर दिया था।

गांधीजी ने कौन से सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था?

इसे सुनेंरोकेंगांधी दोबारा अप्रैल 1935 में इंदौर पहुंचे, तब भी मौका हिंदी साहित्य सम्मेलन में अध्यक्षता का था। इसमें गांधी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन करते हुए एेतिहासिक वक्तव्य दिया… ‘अगर हिंदुस्तान को हमें सचमुच एक राष्ट्र बनाना है तो चाहे कोई माने या न माने राष्ट्रभाषा हिंदी ही बन सकती है।

प्रथम अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभापति कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंमहात्मा गांधी थे सभापति हिंदी साहित्य सम्मेलन के पहले सभापति महामना मदन मोहन मालवीय थे। महात्मा गांधी दो बार सभापति रहे। इनके अलावा प्रथम राष्ट्रपति रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पुरुषोत्तम दास टंडन, माधवराव सप्रे, गणेश शंकर विद्यार्थी, राहुल सांकृत्यायन जैसी विभूतियां सभापति रही हैं।

वैद्य विशारद क्या है?

इसे सुनेंरोकेंआयुर्वेद रत्न और वैद्य विशारद की उपाधि रखने वाले ऐसे लोगों को रजिस्ट्रेशन और निजी प्रैक्टिस की अनुमति के लिए शासन से मांग की गई है जिन्होंने 1967-68 के पूर्व यह उपाधि हासिल की थी। सुप्रीम कोर्ट और यूपी हाईकोर्ट के निर्णय की जानकारी भी है।